Monday, November 5, 2012

तेनालीराम से साक्षात्कार



आज सड़क  पर हम चलते जा रहे थे | अचानक हमारी नज़र सडक के किनारे अनमने और उदास से बैठे एक शिखाधारी, दीन-हीन से दिखने वाले प्राणी पर जा टिकी | जाने क्यों हमें लगा कि हो ना हो ये कोई जाना-पहचाना बुद्धिजीव है | पास जाकर ऐसा लगा कि, इससे तो ऐसा लगता है बचपन में कई बार मिल चुके हैं, परंतु स्मृति की गठरी लाख खंगालने के बाद भी समझ नही आया कि वो भलामानुष आखिर है कौन |
आखिरकार हमने उन्हीं  के पास जाकर विनम्रतापूर्वक पूछ लिया,” हे महापुरुष! आप मेरी यादृच्छिक अभिगम स्मृति अर्थात रैन्डम ऐक्सेस मेमरी में कहीं सहेजे हुए थे , पर अब लाख बार खोजो बटन दबाने पर परिणाम शून्य ही है  क्या आप इस तुच्छ प्राणी को अपना परिचय देने का कष्ट करेंगे ?” ऐसा सुनकर वो कुछ अचकचाये, फिर ये सोचकर कि प्रश्न शायद उनकी ओर इंगित ना हो, उन्होने इधर-उधर झाँका, परंतु इधर-उधर किसी को ना देखकर वो एक उत्साह भरी मुस्कान चेहेरे पर लाकर बोले कि “चलो इस इलेक्ट्रॉनिक युग में किसी ने तो मुझे पहचानने की कोशिश की  | मेरा नाम तेनालीराम है,राजा कृष्णदेव राय के यहाँ मंत्री हुआ करता था, एक समय में बच्चे बडे चाव से मेरे किस्से पढ़ते -सुनते थे पर आजकल किसी के पास फुर्सत कहाँ | स्कूल के होमवर्क का दस मन का बोझ निपटाने के बाद जो समय बचता है वो कार्टून नेटवर्क के सामने बैठकर ही बीत जाता है | और जो अगर थोडा समय बच जाता है वो प्ले-स्टेशन, Wii  और एक्स-बॉक्स के खाते में चला जाता है |बच्चों की मम्मियों को किट्टी पार्टी से फुर्सत नहीं, वैसे भी फेसबुक पर स्टेटस अपडेट में 'ओल्ड- फैशंड' तेनालीराम के बारे में अपडेट करेंगी तो 'आउट-डेटेड' और 'ओह-सो -बोरिंग' की प्रतिक्रया आयेगी  और पापा बेचारे तो रोज़ी -रोटी और नये ब्राण्ड की गाडी के चक्कर में ही पिसे जाते हैं, दादा-दादी के साथ रहने का फैशन तो कब का आउट-डेटिड हो गया तो हमारे जैसों के किस्से बेचारे बच्चे कहाँ से जाने| “
उनकी बातें गौर से सुनने के बात जब हमने एक बार फिर उनके चेहरे को देखा तो तो हमें तुरन्त उनकी बात पर विश्वास हो गया | बचपन से तेनालीराम, बीरबल आदि के किस्से सुनते -पढते आये हैं इसलिये ऐसा लगा कि पहचानने में गलती कैसे कर सकते हैं | हमने स्वभाव- वश तुरन्त अपना अगला सवाल उनकी तरफ दागा, “हे चतुर-चपल मनुष्य, आपका यहाँ आने का प्रयोजन?"
इस पर परम ज्ञानी, परम चपल तेनालीराम जी एक फीकी मुस्कान चेहरे पर लाकर बोले कि-" कल ही मैंने और मेरे मित्र बीरबल ने एक विज्ञापन देखा जिसमे एक जापानी एनिमेशन क्म्पनी ने प्रसिद्ध भारतीया चरित्रों को एनिमेट करने के लिये उन्हें आडिशन के लिये आमंत्रित किया था | हमने सोचा नयी पीढी के बच्चों से जान-पहचान बढाने का सही मौका है ,सो चले आये | पर यहाँ दाव भारतीय नेता और राजनीति ले गए, रोज संसद में कुर्सी -मेज की उठापटक करते , हास्यास्पद और विरोधाभासी बयान देते और फिर उनका खंडन करते,चारा और कोयला खाते  नेताओं से बढे कार्टून किसी को  नज़र नहीं आते । इनके आगे हमारे जैसों की क्या बिसात |कैसी भी दुर्घटना  को आम घटना  बोलकर खींसे निपोरना इनके लिए आम बात है । बिजली से लेकर सिलिंडर तक हर आम ज़रुरत की चीज़ को ये फुटबाल की तरह लुढका कर  राजनीति करतें हैं। आम आदमी जहाँ राशन की जुगत में जुड़ा है , ये लोग 2G जैसे लाखों  करोड़ के घोटाले किये जा रहे हैं। जहाँ आम- जनमानस सिलिंडर छोड़ चूल्हा फूँकने की तैयारी कर रहा है, ये लोग लाल-बत्ती की गाड़ियाँ व्यर्थ घुमाते , विदेश यात्रा करते , मंत्री भत्ते बढाने की बात करते हैं ।सही मायने में एनीमेशन के लिए फिट हैं ये लोग , क्योंकि एनिमेटेड चीज़ों में भावनाएं जो नहीं होती, तभी जनता का दुःख दिखाई नहीं पड़ता , तभी विकलांगों की बैसाखियाँ तक छीनने में नहीं अचकचाते । ।जैसे कंप्यूटर -प्रोग्राम के कोड से एनीमेशन चलता है वैसे ही नोटों की हरियाली से इन नेताओं का भ्रष्ट शासन  चलता है । चुनाव जीतने के बाद नेता ये नहीं सोचता मुझे क्षेत्र में क्या-क्या काम प्रगति के करने है, बल्कि ये सोचता है कि किस विभाग या किस मंत्रिमंडल में ज्यादा मलाई खाने को मिलेगी अर्थात घोटाले करने का प्रोबैबिलिटी- रेशो यानि संभावना क्या है। जनता की गाडी कमाई को जिस भी विभाग से अपने लिए नोट -छापने की मशीन  में फटाफट डाल  सकते हैं   उसी विभाग की और देखकर ये नेता मुंह में जीभ फिराये  जाते हैं। और एक बार मंत्रिमंडल में आते के साथ ही चुनाव में जनता से किये हुए वादे पान की पीक के साथ लोकतंत्र के मुँह पर थूकते हैं । अब ऐसे लोगों के चरित्र को ध्यान में रखकर कोई कार्टून बनेगा तो लोग उसमें रूचि लेंगे , चैनल की टी आरपी  बढ़ेगी । कुछ लोग उसको केवल समय बिताने के लिए देखेंगे, कुछ जी-मसोसने के लिए , कुछ फेसबुक पर स्टेटस अपडेट करने के लिए देखेंगे, कुछ ट्विटर पर ट्वीट 
करने के लिए , कुछ होंगे जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखेंगे और कुछ ही होंगे जो जन आन्दोलन शुरू कर देश को जागरूक करने की सोचेंगे | ऐसे में मुझ जैसे बीत चुके ज्ञान- मनोरंजन के पात्र में आम दिलचस्पी जगाना चैनल के लिए टेढ़ी -खीर साबित होता । इसलिए हमें तो ऑडिशन से पहले ही दरवाज़ा दिखा दिया गया । हमारे मित्र  बीरबल जी को तो अपनी वाक्-पटुता के कारण एक एनिमेटेड टॉक-शो में काम मिल गया हमें ही अपना सा मुँह लेकर वापसी की गाडी पकडनी पडेगी |"
अपने प्रिय पात्र को यों गुमनामी के कारण उदास देखकर हमें बेहद कष्ट हुआ | हमने उनसे आग्रह किया कि बचपन में आपके कारण बहुत शिक्षा मिली है, गुरु  दक्षिणा चुकाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते पर हमारे साथ पिज़्ज़ा पॉइंट चल कर हमे अनुग्रहित करें ।16 इंच के शुद्ध शाकाहारी पिज़्ज़ा को उदरित करने के बाद , तेनालीराम जी के आकुल ह्रदय को कुछ शान्ति मिली और वे बोले इस इलेक्ट्रॉनिक युग की कुछ बेहतरीन चीज़ों में ये फटाफट फ़ूड यानि फास्ट फ़ूड है । इसके बाद तनिक प्रसन्न मन से वो प्रस्थान कर गए ।  उनके प्रस्थान करने के साथ ही हमने सोचा  टीवी के कार्टून वर्ल्ड में भले ही इस पात्र को जगह नहीं मिले पर हमें इस साक्षात्कार का शब्दशः वर्णन लिख ही डालना चाहिए |

No comments:

Post a Comment